अल्फाज़ नहीं जंजीरे हैं , जलते बुझते ख्वाबों की कुछ तहरीरें हैं.....!!!!! रास्ते पसंद हैं..... मंजिलों में मन नहीं रमता..... जैसे सीने पर किसी ने सड़क बना दी हो..... निगाहों में आसमाँ.....!!!!! बाकी सब ! "आसान है".....