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•बेलोज़•

बे-खबर ही अच्छा था, बे-असर तो था..... भले ही बेजान था, पर बेपरवाह था..... बे-वजह जिया करता था, बे-बुनियाद खुद में, पर जो भी था अक्सर हँस लिया करता था..... पड़ा ज्यों ही इस बेलोज़ इश्क़ में, अक्सर ...

•मेरा जहाँ•

मुकम्मल मेरा जहाँ होगा, जब..... ऐसी ही सर्द रातों में, शहर की भागम-भाग से दूर, इक वीरान स्टेशन पे, जहाँ कोई आता-जाता न हो, इक खाली कुर्सी पर, सिर्फ मैं और तुम, हल्की सी सर्दी, मेरे हाथो...

तुम से तुम तक.....🙂

इस दिल की तुझ से तुझ तक की मोहब्बत भी गजब है..... तेरी हर बात याद आते ही तेरे इश्क की खुशनुमा महक इस कदर आती है कि, बेवजह ही मुस्कुरा देता हूँ.....!!!!! 😊😊😊😊😊

कुछ बातें.....

मेरा पागलपन ही मेरे होने की वजह है और मुझसे वो छीनने की कोशिश करना भी बेकार है.....!!!!! मैं सामान्य नहीं हूँ, मुझे चिढ़ है सामान्य होने से, मेरा पागलपन मेरी सनक ही मुझे साँसें दे सकती ...

क्या हूँ मैं.....?

खुदी में अनसुलझा , एक सुलझा सा सवाल हूँ मैं..... जमाने के लिये इक सवाल, पर खुदी में इक जवाब हूँ मैं.....😊

इश्क़

हर दुआ , हर मन्नत , कोई बस इक मुकम्मल मुलाकात मांगता है.....!!!!! तो कोई मुसलसल बे-दिल सा , उसके नाम से भी नफ़रत करता है.....!!!!! क्या फर्क पड़ता है..... दम तो आखिर इश्क का ही घुटता है.....!!!!! बस यूँ ही🙂