मैं, मौसम और हम.....
बारिश रुलाती है , ठंड दिलासा दे जाती है , और गर्मियां फिर से बारिशों के आने की बेचैनी बढ़ाती हैं..... सर्दी मैं उस अलाव के पास बैठकर बिताना चाहता हूँ , जहां मुस्कुराते हुए अपनी पुर...
अल्फाज़ नहीं जंजीरे हैं , जलते बुझते ख्वाबों की कुछ तहरीरें हैं.....!!!!! रास्ते पसंद हैं..... मंजिलों में मन नहीं रमता..... जैसे सीने पर किसी ने सड़क बना दी हो..... निगाहों में आसमाँ.....!!!!! बाकी सब ! "आसान है".....