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Showing posts from August, 2017

मैं, मौसम और हम.....

बारिश रुलाती है , ठंड दिलासा दे जाती है , और गर्मियां फिर से बारिशों के आने की बेचैनी बढ़ाती हैं..... सर्दी मैं उस अलाव के पास बैठकर बिताना चाहता हूँ , जहां मुस्कुराते हुए अपनी पुर...

खलिश.....

खुदा में भी इन दिनों कुछ कमी सी लगती है , तेरी सूरत तलाश में तो मिलती नहीं है..... मैं कोई फूलों ,रंगों ,सितारों की बात नहीं कहता..... सच तो यह है कि तुम्हारे बिना, शाम की चाय भी जमती नहीं ...

⊙दिल⊙

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दिल तो बच्चा है.....

अस्तित्व

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जिन्दगी है साहब !

⊙बहाना⊙

बरामदे का आइना टूटा मिला है , निराश चेहरा छुपाने का बहाना अच्छा मिला है..... पलट कर देखते हैं बरसों से पड़ी पुरानी चीजों को , बीता हुआ वक्त लौटाने का बहाना अच्छा मिला है..... पुरानी त...