•जिंदगी, मौत और तुम•
मैंने मौत को तो महसूस नहीं किया है, लेकिन मैंने तुम्हें खुद से दूर जाते देखा है। मौत भी शायद ऐसी ही होगी, न रोने देती होगी, न हँसने, और न कुछ महसूस करने। तब भी दिखता सब होगा, दिखाई कुछ नहीं देगा। पता सब चलता होगा, महसूस कुछ नहीं होगा। कुछ और दर्द तब भी याद नहीं रहता होगा, बस वो एक दिल होगा जिसमें दर्द बेहिसाब होगा, और सीना फट जाने के करीब। दिल चीखता तब भी होगा, बस आवाज नहीं आती होगी। तूफान दिल में तब भी उमड़ता होगा, अंदर तक सब कुछ उजड़ गया होगा। आँखों में आँसू तब भी आते नहीं होंगे, बस आँखें पत्थर हो जाती होंगी, न किसी को देखती होंगी और न ही कुछ दिखता होगा। मुझे लगता है ये दोनों एक ही जैसे हैं, मौत आने पर भी लगता होगा कि कोई बचा ले, तुम्हारे जाने पर ऐसा था कि कोई तुम्हें रोक ले। इतना कुछ बुरा देखा है, लेकिन इससे बुरा नहीं, हाँ.....तुम्हें खुद से दूर जाते देखा है। मैंने मौत को तो महसूस नहीं किया है, लेकिन मैंने तुम्हें खुद से दूर जाते देखा है।। ~ सौरभ शुक्ला