जिन्दगी.....

सवाल ये था कि सफर खत्म क्यों नही होता जबाब यह है कि सफर शुरु तो हो ?
जिन्दगी अजीब सवाल करती है और , खुद ही अजीब जबाब भी देती है। कभी शाम सुहानी कही दूर लेके जाना चाहती है ,तो कभी शाम गम की दोपहर सी लगती है , कभी सफलता के मिलने पर गर्मी में दोपहर की सड़कों पर भी पाँव नही जलते ,और कभी बरगद की छाँव भी जलाती है , मेरी जिन्दगी भी कमोबेस ऐसे ही प्रश्नों से भरी पड़ी है , कभी एहसास ऐसा है कि बुलन्दी पैरों में है पैरों में इसलिए कह रहा हूँ कि बुजुर्गों ने सिखाया है कि सफलता को कभी भी सर नही बिठाना चाहिये और, कभी लगता है नियति के पैर ही सर पर आ गये हैं.....
झंझावतों से जूझती जिन्दगी ,
अदावतों से जूझती जिन्दगी ,
मुहब्बतों को खोजती जिन्दगी ,
नफरतों में छटपटाती जिन्दगी ,
तनहाई में घबराती जिन्दगी ,
महफिल में लजाती जिन्दगी ,
एहसासों को लपेटती जिन्दगी ,
आँसुओं को समेटती जिन्दगी ,
फागुन सी हसीन जिन्दगी ,
जेठ सी जलती जिन्दगी ,
विधवा के श्रृंगार सी जिन्दगी ,
राम की जीत सी जिन्दगी ,
सिकन्दर की हार सी जिन्दगी ,
मरुस्थल में झील सी जिन्दगी ,
पैरों में कील सी जिन्दगी ,
पहली तनख्वाह सी जिन्दगी ,
गरीब की बेटी के विवाह सी जिन्दगी ,
लाल किले से भाषण सी जिन्दगी ,
गरीबों के राशन सी जिन्दगी ,
सुकून में पाकिस्तान सी जिन्दगी ,
बेपरवाही में हिन्दुस्तान सी जिन्दगी ,
राम का वनवास जिन्दगी ,
हरदम एक काश जिन्दगी ,
हल्दीघाटी का रण जिन्दगी ,
राणा का प्रण जिन्दगी ,
आजाद का वतन है जिन्दगी ,
भीष्म का बचन है जिन्दगी ,
खुशियों का अवशेष है जिन्दगी ,
ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश है जिन्दगी.....!!!!!

जिन्दगी तुझे सलाम ।।

~सौरभ शुक्ला

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