अधूरा आसमाँ.....

अधूरा आसमाँ.....!!!!!

आज पूर्णिमा को भी आसमान अधूरा सा लगा.....
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क्यूंकि आसमान में आज एक ही चाँद था.....!!!!!
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पूरी रात मैं बस दूसरे चाँद को ढूंढ़ता रहा.....
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ढ़ूंढ़ता रहा.....ढूंढ़ता ही रहा.....!!!!!
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पता नहीं पास आने को या दूर जाने को.....!!!!!
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इस तरह सुबह हो गयी !
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न चाँद दिखा !
न वो पास आया !
न ही वो दूर जा सका !

मानो कहीं आस-पास ही भटक रहा है.....!!!!!
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वो चाँद !
हाँ वही ! दूसरा चाँद.....!!!!!
😊😊😊😊😊

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