दूरियाँ साथ-साथ.....

हम साथ भी ऐसे थे !
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जैसे पटरियां रेल की.....!!!!!
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हम न बिछड़े कभी !
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हम कभी मिले भी नहीं.....!!!!!

हम साथ ठीक उसी तरह थे !
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जैसे किनारे हों किसी दरिया के.....!!!!!
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चले भी साथ-साथ !
रूके भी साथ-साथ !
बहे भी साथ-साथ !
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हम कभी बिछड़े नहीं !
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लेकिन कभी मिले भी नहीं !
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शायद कभी मिलेंगे.....
तब जब दरिया सूख जायेगी !
तब जब दोनों साहिल आपस में खो जायेंगे !
उस वक्त कोई अलग नहीं कर पायेगा !
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जब कभी दरिया फिर जनम लेगी !
फिर उसके दो किनारे हो जायेंगे !
फिर उनके साथ वही होगा !
वो फिर अपने मिलन का इंतजार करेंगे !
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मिलेंगे !
लेकिन तब , जब फिर बहुत देर हो चुकी होगी !
जब दोनों बे-जान हो चुके होंगे !
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फिर भी वो अपने मिलन पर खुश होंगे.....!!!!!
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शायद !
😊😊😊😊😊

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