इश्क़

हर दुआ ,
हर मन्नत ,
कोई बस इक मुकम्मल मुलाकात मांगता है.....!!!!!
तो कोई मुसलसल
बे-दिल सा ,
उसके नाम से भी नफ़रत करता है.....!!!!!
क्या फर्क पड़ता है.....
दम तो आखिर इश्क का ही घुटता है.....!!!!!

बस यूँ ही🙂

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